मंदिर के स्वरूप का वर्णन शरीर के रूप में किसी व्यक्ति के अनुरूप उसकी पीठ पर परिलक्षित बताया गया है :-
(१) सिर = गर्भ ग्रह है।
(२) ग्रीवा = अर्ध्द-मण्डप है।
(३) वक्ष = महामण्डप है।
(४) नाड़ी = यागे मण्डप है।
(५) चरण =  गोपरम् (मीनार) है।
स्वयंभू श्रीझाड़खण्ड तीर्थ स्थली का निर्माण छः  शिल्पों एवं लिंग सिद्धान्तों पर किया गया है :-
(१) आर्कस्थानम् (आधार)
(२) पिट्टी(पाँव)
(३) प्रस्तरम् (ग्रीवा)
(४) क्रिवम् (सिर)
(५) स्तूपी (बुर्ज)
श्रीझाड़खण्डनाथ तीर्थ स्थली में द्रविड़ शैली के दृष्टिकोण से वास्तुपरक अनेक विषेषताओं को पाया गया बताया जाता है यह केवल दुर्लभ मंदिरों मे ही पाई जाती है। हमारे देश के बारह शिव ज्योर्तिलिंगों जो :-
१. सोमनाथ            गुजरात
२. मल्लिकार्जुन       आंध्रप्रदेष
३. महाकाल           मध्यप्रदेष
३. महाकाल           मध्यप्रदेष  
४. ओंकारेष्वर        मध्यप्रदेष
५. बैद्यनाथ            बिहार
६. भीमाषंकर        महाराष्ट्र
७. रामेष्वरम्         तमिलनाडु
८. नागेष्वर            महाराष्ट्र
९. विष्वनाथ          उत्तरप्रदेष  
१०. त्र्यम्बकेष्वर      महाराष्ट्र
११. केदारनाथ       उत्तरांचल  
१२. घुष्मेष्वर        महाराष्ट्र
में है इन्ही की तरह ही श्रीझाड़खण्डनाथ की महानता भी है। इस मंदिरों मे अन्य दुलर्भ विशेषताऐ है :-

अधिस्थानम् (आधार) में :-
यथा-उपाना, जागदी कुमुदा, काम्बू, एवं पट्टीगई सहित उप-पीता पर यह विशेषताऐं पाई गई है बताया जाता है की चोल एवं नायक काल के मन्दिर की प्रमुख विशेषता में पादाभान्दा अधिस्थानम् प्रमुख विशेषता होती है जो झाडखण्ड मंदिर में है।
वैदिके :- वास्तुपारक विशेषताओं में कान्दा, काम्बू एवं पदमा होती है। वैदिके, अधिस्थानम् के ऊपर पाई जाती है तथा वैदिक नामक वास्तुपरक इस झाडखण्ड मंदिर में है जो मुख्य तोर पर तन्जौर गंगाइकोण्डा चोलापुरम् एवं त्रिभुवनम् जैसे विख्यात चोला मन्दिरों में पाई जाती है।

विष्णु कान्ता स्ताम्भ (पिट्टी) :-
श्रीझाड़खण्डनाथ शिव ज्योर्तिलिंग तीर्थ स्थली की दीवारों को पांच भागों में बांटा गया है :-
(१) कर्णा
(२) अकारा
(३) मुखपादा
(४) अकारा
(५) अष्टमुखी स्तम्भों के रूप में बताया है।


पंच बूथा स्थलम् और पंच प्रकारम :-
श्रीझाड़खण्डनाथ शिवज्योर्तिलिंग तीर्थ स्थली में पांच प्रवेष द्वारों को पंच बूथा स्थलम् और पंच प्रकारम् के रूप में बताया जाता है :-
(१) अन्नामाया ।
(२) प्रणामया ।
(३) मनोमाया ।
(४) विंजनामाया ।
(५) आनन्दमाया ।
पंचबूथा तिरूवनाईका मंदिर में पाई जाती है। इससे यह ज्ञात होता है कि भगवान् मंदिर के आनन्दमाया में पाये जाते है।


विमाना :-
यह पवित्र स्थान के ऊपर सिकारा, वेसारा (वृत्त) प्रकार का बना है तथा यह मनासी एवं कृवा देवाखोस्तों से सुसर्ज्जित है।