बुर्जों के नाम इनकी महत्वतता व विवरण:-

श्रीझाड़खण्डनाथ तीर्थ स्थली परिसर के चारों कोनों में चार बुर्ज बने हुऐ है। इन चारों बुर्जो को पहरेदारों की संज्ञा दी जाती है। यहां ऐसा प्रतित होता है जैसे भोले नाथ इन बुर्जो के रूप में देवताओं कों चारों दिशाओं से महादेव के दर्शनों का आनंद लेने के साथ-साथ चारों दिशाओं में खडें रह कर विनाशकारी शक्तियों से भक्तों को दूर रखते हुए मानव कल्याण के उपदेश देने व उनके मंगल के लिये कामना को पूर्ण करने का दायित्व इन्हें भी सौप रखा है। और शायद यही कारण है जो भी भक्तगण श्रीझाड़खण्डनाथ शिव ज्योर्तिलिंग के दर्शनों को आता है वह स्वयंभू महादेव के दर्शनों के बाद स्वयं को पूर्ण आशस्वत, शांत और मनोकामना पूर्ण होने का विश्वास लिए जाता है पुनः दर्शनों की अभिलाषा मन में लिए हुए।

1 . नन्द कुटिर(बुर्ज) :-
यह बुर्ज उत्तर-पूर्व के कोने में बनी है इसका नाम है नन्द कुटिर इसमें बाबा गोविंदनाथ जी का उपयोग में लिया गया सामान जैसे अडका, कमनडल, दूषाला, बेत, हुक्का आदि सामान रखा हुआ है।इस बुर्ज के प्रवेश द्वार पर कांच लगे होने से आसानी से लोगों को इनके दर्शनों का लाभ होता है। इसी बुर्ज में बरसों से अखण्ड ज्योति भी प्रज्जवलित है। नन्दकुटीर व बाबा गोविनदनाथ जी कि समाधि का एक ही चौक है या इसे एक ही प्रांगण मे कहा जा सकता है। यहां लोग आकर श्रद्धा के साथ ध्यान लगातें है तथा मन कि शांति को प्राप्त करके इस कलयुग में भी संस्कारी धर्म का पालन करने कि प्रेरणा व शक्ति पाते है।

2 . रत्न कुटीर (बुर्ज):- यह उत्तर पच्छिम दिशा के कोने में बनी हुई है इस बुर्ज को रत्न कुटीर कहते है ।

3 . बालकुटिर (बुर्ज):- पच्छिम  -दक्षिण के कोने में बनी हुई बुर्ज को बालकुटिर कहते है यह महात्माओं द्वारा झाड़खंड महादेव के ध्यान के काम आती है इन बुर्जो में देश के अनेकों प्रसिध्द महापुरूषों ने रह कर शिव प्रभू का ध्यान किया है ।

4 . रामकुटिर (बुर्ज):- दक्षिण-पूर्व के कोने में बुर्ज बनी है इस बुर्ज को रामकुटिर कहते है .इस बुर्ज में मंदिर का उपयोगी सामान रखा हुआ है।