स्वयंभू श्रीझाड़खण्डनाथ  शिव ज्योर्तिलिंग तीर्थ स्थली का इतिहास :-

जैसा ऊपर बताया गया है इस प्राचीन शिव ज्योर्तिलिंग के प्रकट होने का समय व वर्ष का अनुमान लगाना कठिन है। श्रीझाड़खण्डनाथ  शिवज्योर्तिलिंग मंदिर का सर्वप्रथम निर्माण कार्य बाबा गोविंदनाथजी के आशीर्वाद  को प्राप्त कर सेठ बब्बूजी महेश्वरी  द्वारा सन् 1918 में करवाया गया था । सेठ बब्बूजी शिव के अनन्य भक्त होने के साथ सम्पन्न व्यापारिक परिवार के होने का गौरव रखते थे उस समय उनकी आयु 14 वर्ष के बालक की रही होगी, ऐसा बताया जाता है। बालक सेठ बब्बूजी अपनी आदत के अनुसार कुछ कुछ साथियों को अपने साथ लेकर एक बार इस और भ्रमण को निकले उस समय यह स्थान घना जंगल हुआ करता था। घने जंगल के कारण लोगों का इस जंगल में भय के कारण आना जाना नहीं होता था। सेठ बब्बूजी  यहां के वातावरण में एक आकर्षण के वशीभूत एक कुई को देख कर रूक गये । उन्होने इस घने जंगल में एक साधु को धूनि के समक्ष ध्यान मग्न देख कर आर्ष्चय तो हुआ किन्तु स्वतः ही निगाह दूसरी तरफ जाते ही महादेव के दर्षन करते ही आंनद का अनुभव महसूस करते हुए शिव दर्षनों के आकर्षण व लगाव वशसाधु से पुछ बैठे कि बाबा यदि आप आज्ञा दे तो मै शिवलिंग पर मंदिर का निर्माण करवा दूँ चूँकि बालक द्वारा अचानक घने जंग लमे आना ओर असामान्य सी बात कहना साधु को लगा बालक उनसे ठिठोली कर रहा है। साधु ने भी सहजता से बोल दिया करवा दे बालक ने पूछा काम कब से शुरू करवाना है इस बात का जवाब देते हुए साधु बोले तू चाहे तो कल से ही काम शुरू करवा दे। दूसरे ही दिन 300 कारीगरों/काम करने वालों के साथ जब यह बालक सेठ बब्बूजी शिव के इस दरबार में उपस्थित हुए तो साधु के आश्चर्य  सीमा नही रही साधु ने कहा, हो न हो यह महादेव शिव की आज्ञा से ही इस भयावान जंगल में, जहां खुंखार जानवरों के अलावा कोई आने कि हिम्मत नहीं करता ऐसे में एक बालक का अचानक आना व आकर मंदिर के निर्माण के लिऐ पूछना , यह भोलेनाथ कि आज्ञा का संकेत नही तो और क्या है ? साधु ने इसे शिव का आदेशमान कर बालक को आशीर्वाद  देकर मदिर का निर्माण कार्य आरम्भ करवाया, जो 300 कारिगरों के द्वारा कुछ समय में सम्पन्न हो गया। उस समय यह छोटी नदी के किनारे जो वर्तमान में नाले का रूप अख्तयार कर चुका है के बीचो-बीच स्थित है। इस प्रकार श्रीझाड़खण्डनाथ की आज्ञा से बाबा गोविन्दनाथ  के आशीर्वाद  को लेकर श्री बब्बूजी सेठ माध्यम बने पंचनाथों में एक नाथ श्रीझाड़खण्डनाथ तीर्थ स्थली के निर्माण की शुरुआत के लिए।